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- Pt. Vijayshankar Mehta’s Column No Matter What The Circumstances, Do Not Leave Morality
1 दिन पहले
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![IPL Auction 2 पं. विजयशंकर मेहता - Dainik Bhaskar](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/12/21/_1703109059.jpg)
पं. विजयशंकर मेहता
पिछले दिनों मुझे तीन तरह के राजनेता मिले। एक वो, जो सत्ता में आ गए, दूसरे, जिनकी सत्ता चली गई और तीसरे, जिन्हें सत्ता मिल नहीं पाई। इन तीनों में मैंने तीन बातें देखीं। अहंकार, अवसाद, अकर्मण्यता। यह श्रीराम-कृष्ण का देश है। हमें उपलब्धि या असफलता के समय भी इन दोनों से सीखना चाहिए।
राम जब युवराज थे और घर से निकलते तो भर-भरकर दान देते। उन्हीं राम के पास केवट को देने के लिए फूटी कौड़ी तक नहीं थी। थोड़ी देर बाद सत्ता मिलने वाली थी, चौदह साल वनवास मिल गया। सीखिए राम ने क्या किया। लोक व्यवस्था पर उनका चिंतन स्पष्ट था। इसलिए 14 वर्ष तपस्वी वेश में वह सफलता की ऊंचाइयां छू गए। बतौर सत्ताधीश राम में गजब का संयम था। वह मानवतावाद पर बहुत काम करते थे।
निषाद उनका आर्थिक पक्ष, विभीषण राजनीतिक, जटायु सामाजिक और शबरी प्रसंग में सांसारिक पक्ष उजागर हुआ था। व्यवहार में राम इतने नैतिक थे कि घायल रावण को युद्ध में छोड़ दिया था और मृतक रावण का दाह संस्कार करवाया था। चाहे जो हो जाए, अपनी नैतिकता मत छोड़िए।
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