OllRen

IPL Auction

[ad_1]

  • Hindi News
  • Opinion
  • Ruchir Sharma’s Column A Continent That Is Slowing Down Everyone’s Development

1 दिन पहले

  • कॉपी लिंक
रुचिर शर्मा ग्लोबल इन्वेस्टर व बेस्टसेलिंग राइटर - Dainik Bhaskar

रुचिर शर्मा ग्लोबल इन्वेस्टर व बेस्टसेलिंग राइटर

पूरी दुनिया में निर्मित ‘बेबी बस्ट’ की स्थिति चीन और जापान से लेकर जर्मनी और अमेरिका तक हर प्रमुख अर्थव्यवस्था में विकास की गति को धीमा कर रही है। लेकिन इस कहानी का दूसरा पहलू अनकहा है। वो यह कि जो अर्थव्यवस्थाएं अब भी जनसंख्या वृद्धि से बूस्ट पा सकती थीं, वे भी ऐसा करने में विफल हो रही हैं।

वैश्विक विकास के लिए सबसे बड़ी समस्या अफ्रीका है, जहां आज डेढ़ अरब लोग रहते हैं। 2030 तक प्रत्येक तीन कामगारों में से एक इस महाद्वीप का होगा। अगर दुनिया की अर्थव्यवस्था को तेजी से बढ़ना है तो इसके लिए अफ्रीका को इन कामगारों को काम देने और अपने जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठाने का तरीका खोजना होगा। अभी तो ऐसा नहीं हो रहा है।

मेरी रिसर्च बताती है कि कामकाजी आबादी में कम से कम दो प्रतिशत की वृद्धि चमत्कारिक आर्थिक विकास यानी कम से कम छह प्रतिशत की निरंतर गति के लिए आवश्यक है। 2000 तक, 110 देशों में कामकाजी उम्र की जनसंख्या में इतनी ही तेजी से वृद्धि हुई थी और इनमें से लगभग आधे अफ्रीका में थे।

अब ऐसे देश केवल 58 हैं, जिनमें से 41 या दो-तिहाई से अधिक अफ्रीका में हैं। यदि अफ्रीका दक्षिण कोरिया और ताइवान जैसी पूर्वी एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के समान ही जनसंख्या वृद्धि का लाभ उठाने में सक्षम होता तो विश्व अर्थव्यवस्था में उसका हिस्सा आज की तुलना में कम से कम तीन गुना अधिक होता। आज यह मात्र 3% है। इससे वैश्विक आर्थिक वृद्धि भी हाल के औसत 2.5% से अधिक तीव्र गति से होती।

पिछले पांच वर्षों में, 54 अफ्रीकी अर्थव्यवस्थाओं में से केवल तीन ही छह प्रतिशत से अधिक की वार्षिक दर से बढ़ी हैं- इथियोपिया, बेनिन और रवांडा। यह संख्या 2010 में 12 थी। एक भी अफ्रीकी अर्थव्यवस्था ने औसत प्रति व्यक्ति आय में बदलावकारी लाभ नहीं देखा है, और आधे देशों में तो गिरावट देखी गई है। इनमें इस महाद्वीप के पांच सबसे बड़े देशों में से तीन- नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका और अल्जीरिया भी शामिल हैं।

अफ्रीका श्रमिकों की संख्या में तो इजाफा कर रहा है, लेकिन प्रति श्रमिक उत्पादन नहीं बढ़ा पा रहा है। जबकि एशिया में तेज गति से आर्थिक विकास करने वाले देशों ने किसानों को मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में लाकर प्रति श्रमिक उत्पादन में बढ़ावा किया है।

ताइवान जैसी अतीत की मैन्युफैक्चरिंग शक्ति अब हाईटेक के क्षेत्र में चली गई है। लेकिन अफ्रीकी देश मैन्युफैक्चरिंग की स्टेज को सीधे लांघकर डिजिटल युग में छलांग लगा सकेंगे, ये आशाएं फलीभूत नहीं हुई हैं। कुछ तकनीकी निवेशक आज भी उन्हीं अफ्रीकी डिजिटल अवसरों के बारे में चर्चा कर रहे हैं, जिनके बारे में वे एक दशक पहले बात कर रहे थे।

इसी तरह ये उम्मीदें भी नाकाम रही हैं कि सेवा क्षेत्र उन्हें समृद्धि का वैकल्पिक मार्ग प्रदान कर सकता है। एक समय चीन और अन्य एशियाई शक्तियों को भी “बास्केट केसेस’ कहकर खारिज कर दिया गया था, लेकिन उनका आर्थिक उत्थान इतनी तेजी से हुआ है कि इसने सबको चकित कर दिया है।

कठिन वैश्विक परिस्थितियों और अंदरूनी समस्याओं के कारण भी अफ्रीका अपनी क्षमताओं को अर्जित नहीं कर पा रहा है। 1960 के दशक में पूर्वी एशिया की तुलना में अफ्रीका का औसत कामगार लगभग 50% अधिक उत्पादक था; लेकिन अब उसकी तुलना में एक सामान्य पूर्वी एशियाई कामगार तीन गुना अधिक उत्पादक हो गया है।

इसका एक कारण तो नेतृत्व है। दुनिया की 20 सबसे भ्रष्ट सरकारों में से चौदह अफ्रीका में हैं। 2010 में ये दस थीं। एशिया में शक्तिशाली नेताओं ने अपने देशों की समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जबकि अफ्रीका में ताकतवर नेता सड़क, रेलवे, अच्छे स्कूल आदि तैयार किए बिना ही केवल खुद को बनाए रखने की कोशिश करते रहते हैं।

बोट्सवाना एक समय इस महाद्वीप की सबसे आशाजनक कहानी थी, लेकिन वह विविधता लाने का कोई रास्ता नहीं ढूंढ पाया है और आज 3% की दर से बढ़ रहा है। और नाइजीरिया में- जो यूएई जितना बड़ा हो सकता था- पिछले पांच वर्षों से औसत आय घट रही है।

हाल ही में जब मैंने केन्या का दौरा किया तो उसके बुनियादी ढांचे के निर्माण में चीन की छाप हर जगह दिखाई दे रही थी। लेकिन उसका आर्थिक विकास अभी भी निराशाजनक है, और वह चीन के कर्जों को चुकाने के लिए संघर्ष कर रहा है। वहां पर बार-बार बिजली गुल होना इस बात का संकेत है कि अफ्रीका के अन्य देशों की तरह केन्या में अभी भी बहुत कम निवेश आ रहा है।

आगामी तीन दशकों में दुनिया की कामकाजी आबादी में 2 अरब लोगों की वृद्धि होगी और इनमें से लगभग 80% कामगार अफ्रीका में होंगे। यह विशाल महाद्वीप आर्थिक चमत्कारों की आखिरी और सबसे अच्छी उम्मीद है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

खबरें और भी हैं…

[ad_2]

Source link

Exit mobile version